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Monday, December 26, 2011

फेसबुक HTTP v /s HTTPS

किसी भी वेबसाइट में डाटा सर्वर कंप्यूटर से यूसर के कंप्यूटर में प्रोटोकॉल्स के माध्यम से पहुँचता है| यह प्रोटोकॉल्स HTTP या HTTPS कुछ भी हो सकता है| फेसबुक में आप इसे अपने मुताबिक आसानी से सेट कर सकते हैं| आइये पहले समझा जाए की ये होते क्या हैं -

HTTP : हायपर टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल| जब आप नोर्मल फेसबुक प्रयोग कर रहे होते हैं तो वेब एड्रेस में डाटा ट्रान्सफर इसी प्रोटोकॉल के माध्यम से होता है| इसका पोर्ट नंबर 80 होता है|
लाभ : इसमें डाटा बहुत ही तेज़ गति से सर्वर - क्लाएंट के बीच स्थापित होता है|
हानि : चूंकि इसमें सिक्यूरिटी की लेयर नहीं होती तो भूल चूक होने पर अकाउंट हैक होने की संभावना 90 % होती है| हैकर HTTP को आसानी से हैक कर लेते हैं|


HTTPS : हायपर टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल सीक्योर| जब आप फेसबुक में सीक्योर वेब ब्राउसिंग प्रयोग कर रहे होते हैं तो वेब एड्रेस में डाटा ट्रान्सफर इसी प्रोटोकॉल के माध्यम से होता है| इसका पोर्ट नंबर 443 होता है|
लाभ: इसमें सिक्यूरिटी के लिए एक्स्ट्रा लेयर होती है और वेब ब्राउसिंग की एक्टिविटी कंप्यूटर में सेव नहीं हो पाती| हैकर के लिए लेयर को तोड़ पाना बहुत ही मुश्किल काम होता है|
हानि
: इसमें डाटा HTTP के मुकाबले धीमी गति से सर्वर-क्लाएंट बीच के स्थापित होता है| कभी-कभी तो फेसबुक की चैट रिफ्रेश करने पर ही रिप्लाई प्राप्त होता है| पेज लोडिंग में भी ज्यादा समय लगता है|

फेसबुक के HTTP या HTTPS इस प्रकार सेट किये जा सकते हैं
नोट: फेसबुक से सम्भंधित किसी भी समस्या या सुझाव के लिए आप मुझे ईमेल या कमेन्ट के माद्यम से संपर्क कर सकते हैं| मेरा ईमेल है makmeer@gmail.com

धन्यवाद!!

इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|

Tuesday, December 20, 2011

क्लिकजैकिंग (ClickJacking) तकनीक फेसबुक - अश्लील हमले: कैसे अपने आप को बचाएं|

आजकल फेसबुक पर पोर्न विडियो की बाड़ सी आई हुई है| किसी के अकाउंट से किसी को भी एक पोर्न लिंक जाता है और बस उसका काम तमाम हो जाता है| सब के मन में सवाल हैं तमाम| ये है क्या? कैसे काम करता है? कोन भेज रहा है और क्यों?
फेसबुक पर दो तरह के यूसर हैं पहले अडवांस और दूसरे नौसिखिया| नौसिखिया लोगो के अकाउंट सब से पहले ऐसी चपेट में आ जाते हैं| अडवांस यूसर भी इस से बुरी तरह से ग्रस्त हैं|

क्लिकजैकिंग (ClickJacking) तकनीक
क्लिकजैकिंग (ClickJacking) तकनीक 2008 में Jeremiah Grossman and Robert Hansen ने खोजी थी| इस तकनीक में वेब क्लिक के माध्यम से यूसर के अकाउंट का फुल या पर्सिअल अधिकार हैकर के पास चला जाता है, और फिर हैकर उसके अकाउंट का खूब मज़े से प्रयोग करता रहता है जैसे की कुत्ते के ऊपर कलिली चिपक के मज़े से खून चूसती है| ही ही ही ही ही !!!

फेसबुक पर आजकल क्लिकजैकिंग (ClickJacking) तकनीक से लोगो के अकाउंट हैक किये जा रहे हैं|
सबसे पहले हैकर अपने फ्रेंड को एक चटपटी विडियो या इमेज (जयादातर पोर्न विडियो) भेजता है| जैसे की फेसबुक में ये वाल पोस्ट| फिर जब कोई लपक के उस विडियो पर क्लिक कर देता है तो विडियो या इमेज के पीछे छिपी स्क्रिप्ट (प्रोग्रामिंग कोड) अपना काम शुरू कर देती है| सबसे पहले यह स्क्रिप्ट (प्रोग्रामिंग कोड) अपने आप को खूब फैलता है, ताकि जयादा से जयादा लोगो तक पहुँच सके| क्लिक करने वाले सभी यूसर के सभी दोस्तों के पास वो विडियो लिंक आगे शेयर होता जाता है| जब ये लिंक यूसर के दोस्त को प्राप्त होती है तो दोस्त या तो उसे आगे फॉरवर्ड कर देता है या अपने दोस्त से लड़ाई करता है| "क्यों बे ऐसी गन्दी गन्दी विडियो क्यों भेज रहा है" असल में वो आपके दोस्त ने नहीं भेजी वो तो उस बेबकूफ की वजह से फ़ैल गई अनजाने में|

इस से कैसे बचा जाए?
1.) जब आपके फ्रेंड की तरफ से ऐसी कोई पोर्न विडियो लिंक आए तो सबसे पहले उसे डिलीट करें, और अपने फ्रेंड को आगाह कर दें की बेटा तुम्हारे अकाउंट की बाट लग गई है| जल्दी से अपना पासवर्ड बदल के सिक्यूरिटी बदले|
जैसा की चित्र में ऊपर दिखाया गया है की सूरज नाम के मेरे फ्रेंड ने बिना भेजे ही मेरे वाल पोस्ट पर ये पोर्न विडियो डाल दिया। ये इसकी गलती नहीं है| बस गलती इतनी है की इसने क्लिक किया होगा और ये मेरे पास आ गई| अब यदि मैं भी प्ले कर के देखने लगू तो यह मेरे सब दोस्तों के पास पहुच जाएगी|

2.) जब आपके पास ऐसा कोई लिंक आए तो डोंट वार्री| इसे डिलीट कर दें ऐसे सिम्पल|
अब यदि आप चाहे तो इसे Report/Mark as Spam... भी कर सकते हैं, मगर इस का कोई फायदा नहीं क्यूकी ये आपको दिखना बंद हो जायेगा परन्तु आपके मित्रो को दीखता ही रहेगा तो बेस्ट आप्शन यही है की इसे डिलीट कर दिया जाए|

3.) यदि इस लिंक पर क्लिक कर दिया है और यह फ़ैल रहा है तो फेसबुक की अकाउंट सेट्टिंग में जाकर ऐप्प्स सेट्टिंग चेक करें| जो भी नया ऐप्प्स दिखे फ़ौरन डिलीट कर दें| असल में मैं किसी भी फेसबुक ऐप्प्स प्रयोग करने की सलाह नहीं दूंगा क्यूकी मुझे इन ऐप्प्स पर बिलकुल भी भरोसा नहीं होता|

4.) फेसबुक ऐप्प्स, फेसबुक वाले नहीं बनाते, ये ऐप्प्स पब्लिक डेवलपर्स बनाते हैं, और कोई भी जो Php, JavaScript आदि का ज्ञान रखता है ऐप्प्स बना के फेसबुक ऐप्प्स लिस्ट में डाल सकता है| जब आप किसी ऐप्प्स को ज्वाइन करते हैं तो ऐसा लिखा आता है --

जब आप किसी ऐप्प्स को ज्वाइन करते हैं तो आप अपना अकाउंट उस के हवाले कर देते हैं, ऐप्प्स डेवलपर्स कुछ भी कर सकता है फिर| आप अपनी मर्ज़ी से अपना अकाउंट दुसरे को दे रहे होते हैं| ये तो भाई ये ही बात हो गई आ बाईल मुझे मार!!! ही ही ही ही |

5.) हालाँकि फेसबुक ने ऐप्प्स के लिए अलग से पासवर्ड (ऐप्प्स पासवर्ड) का आप्शन दे रक्खा है, मगर फिर भी इन ऐप्प्स पर मुझे तो कतई भरोसा नहीं होता|

फेसबुक में आए दिन नए नए लोचे होते ही रहते हैं| बेचारे फेसबुक वालो की टीम डेली न्यू चेलेंग्ज़ फेस करती है| खैर सारे लोचे से बचने का सिर्फ एकमात्र तरीका यही है की अपना ज्ञान बढाया जाए|

आज के लिए इतना काफी है जल्द मिलूँगा फिर नए टोपिक के साथ| तब तक के लिए अलविदा|

इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|


नोट - यदि कोई क्लिकजैकिंग के विषय में अधिक जानना चाहे तो मुझ से यहाँ कमेन्ट बॉक्स में संपर्क कर सकता है|

Saturday, November 26, 2011

अपने कंप्यूटर को वाईरस से कैसे बचाएं?

कंप्यूटर में आए दिन छोटी मोटी समस्या होती ही रहती हैं| इन सभी समस्यायों में सबसे मुख्य है कंप्यूटर वाईरस| हर किसी के कंप्यूटर में वाईरस है| हर कोई वाईरस से परेशान है| हर आएदिन कंप्यूटर में कुछ ना कुछ होता ही रहता है, और समझ में आता नहीं सो अलग है| क्यों ऐसा ही है ना?? अगर ऐसा ही है तो आपका कंप्यूटर वाईरस की गिरफ्त में है| वाईरस से बचने का सिर्फ एक मात्र तरीका यही है की इसे ठीक से भली-भांति समझ लिया जाए|

वाईरस होता क्या है?
वाईरस एक प्रकार का लोजिकल प्रोग्राम है जो की सॉफ्टवेर इंजिनियर के द्वारा किसी ख़ास काम के लिए बनाया जाता है| जैसे जीव वाईरस मानव शरीर में प्रॉब्लम करता है, ठीक वैसे ही कंप्यूटर का वाईरस कंप्यूटर में नुकसान करता है| अगर मैं यहाँ वाईरस की प्रोग्रम्मिंग बताने बैठ गया तो यह लेख बहुत ही बड़ा और पका देने बाला हो जायेगा| अत: जो लोग प्रोग्रामिंग के विषय में जानना चाहते हैं वह अलग से मुझ से पूछ सकते हैं| बस अभी यहाँ इतना समझ लीजिये की वाईरस एक ऐसा प्रोग्राम है जो सिर्फ आपके कंप्यूटर को ख़राब करने के लिए ही बनाया गया है|

वाईरस नुकसान कैसे पहुंचता है?
जैसे की मैंने आपको पहले ही बताया की वाईरस लोगिकल प्रोग्राम होता है अत: यह आपके विरुद्ध आपके पीसी में बदलाव करने लगता है| वाईरस के द्वारा किये गए वदलाव हमारे लिए नुकसान भरे होते हैं| जैसे की फाईल्स का बिना पूछे डिलीट मार देना, न्यू-न्यू फाईल्स खुद बना देना, सॉफ्टवेर को कर्रप्ट कर के ख़राब कर देना, विंडो की रजिस्ट्री, हिस्टरी, कैश आदि खा जाना| ड्राईव में पड़े डाटा को नुकसान पहुचना आदि|

वाईरस से कैसे बचे?

वाईरस से सिर्फ और सिर्फ ज्ञान से ही बचा जा सकता है| यदि आपको ज्ञान हो गया तो आप कभी भी वाईरस के चक्कर में फस के उल्लू नहीं बन सकते| ही ही ही...
1 ) वाईरस से बचने के लिए अपने कंप्यूटर में बढ़िया सा एंटी वाईरस लोड किया जाना चाहिए| अब अब सोच रहे होंगे की बढ़िया वाला एंटी वाईरस प्रोग्राम कोनसा है? देखो भाई मार्केट में तमाम बढ़िया-बढ़िया एंटी वाईरस है कोई सा भी लोड कर लो यार| कुछ लोग 1000 -1500 वाला एंटी वाईरस प्रोग्राम लोड करता है तो कोई फ्री का ही काम चलाता है| वैसे Avast एंटी वाईरस फ्री और नॉन-फ्री दोनों की मस्त हैं|
2 ) एंटी वाईरस चाहे पैसे से खरीदा जाए या फ्री का लोड किया जाए, यदि पहले से ही कंप्यूटर में वाईरस है तो फिर कुछ भी फायदा नहीं है, अत: फ्रेश विंडो में सबसे पहले ही एंटी वाईरस लोड कर देना सबसे अच्छा विकल्प है| एक बार कंप्यूटर में वाईरस लग जाता है तो उसकी हालत एड्स के मरीज़ जैसी हो जाती है जिस पर सब एंटी डोस बेअसर साबित होते हैं|

3 ) सबसे ज्यादा वाईरस पेन ड्राईव की वजह से फैलता है| आजकल पेन ड्राईव का चलन भी खूब होने लगा है और बेबकूफ से बेबकूफ भी पेन ड्राईव का प्रयोग कर रहा है| यू एस बी ड्राईव, पेन ड्राईव या मेमोरी कार्ड आदि का प्रयोग बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए|

4 ) यू एस बी ड्राईव, पेन ड्राईव या मेमोरी कार्ड आदि को माय कंप्यूटर में राईट क्लिक करने पर open, Explore, Search, Autoplay आदि आप्शन दिखाई देते हैं, भूल कर भी इन आप्शन को क्लिक ना करे, आपके में वाईरस फ़ैल जाने के चांसेस 95 % है क्यूकी ज्यादातर वाईरस बनाने वाले इन्ही आप्शन का प्रयोग करते हैं| इस तरह की प्रोग्रामिंग को शैल प्रोग्रामिंग कहा जाता है|

5 ) यू एस बी ड्राईव, पेन ड्राईव या मेमोरी कार्ड आदि का प्रयोग कर रहे हैं तो माय कंप्यूटर के एड्रेस बार से ही ड्राईव को एक्सेस करने की कोशिश करें| ये सबसे सुरक्षित व भरोसेमंद तरीका होता है|

6 ) अपने एंटी वाईरस प्रोग्राम को हमेशा अप टू डेट रखना चाहिए| इसके लिए एंटी वाईरस प्रोग्राम बनाने वाले संगठन टाइम टू टाइम अपडेट अपनी वेबसाइट पर रिलीज़ करते रहते हैं| यदि कंप्यूटर में लाइव इन्टरनेट कनेक्शन है तो एंटी वाईरस खुद अपने आप को अपडेट कर लेगा और आपको कुछ भी नहीं करने की ज़रूरत|
7 ) जिन कंप्यूटर में लाइव इन्टरनेट कनेक्शन नहीं है वो लोग साइबर कैफे या अन्य इन्टरनेट सौर्स के माध्यम से एंटी वाईरस की अपडेट डाउनलोड कर अपने कंप्यूटर में लोड कर सकते हैं| 7 से हर 15 दिन के बीच अपना एंटी वाईरस अपडेट करते रहना ज़रूरी है|

8 ) बहुत से लोग एंटी वाईरस के एक्टिवेशन और अपडेट में कन्फ्यूज़ हो जाते हैं|
एक्टिवेशन का अर्थ एंटी वाईरस की काम करने की अवधी जो की 30 दिन, 6 माह या एक साल जो भी हो सकती है| इस अवधी के बाद एंटी वाईरस एक्सपायर हो जाता है और काम करना बंद कर देता है| रीन्यू करने के लिए फिर से पेमेंट देना होता है| फ्री वालो को भी एक्टिवेट करना पड़ता है|
अपडेट का अर्थ एंटीवाईरस का वाईरस डाटाबेस अपडेट रखना है| जब तक आपके एंटी वाईरस को पता ही नहीं होगा की कोनसा प्रोग्राम है और कोनसा वाईरस प्रोग्राम तब तक वो उल्लू की तरह ही आपके कंप्यूटर में पड़ा रहेगा ना| अपडेट से इसका वाईरस पकड़ने का दायरा बढता ही है|

9 ) पाईरेटेड सॉफ्टवेर कंप्यूटर में सबसे जयादा नुकसान बेसिक यूसर को पहुंचाते हैं, एडवांस यूसर के लिए तो ये फ्री का माल होते हैं| पाईरेटेड प्रोग्राम अक्सर वाईरस से युक्त होते हैं| जहाँ तक हो सके पाईरेटेड विंडो और पाईरेटेड सॉफ्टवेर प्रोग्राम आदि इंस्टाल ना करें|

10 ) हफ्ते महीने भर में अपने कंप्यूटर को फुल सिस्टम इस्कैन करते रहे ताकि कोई वाईरस नज़र से बचने ना पाए| फुल सिस्टम स्कैन का टाइम ऐसा चुने जिसमे आपको कंप्यूटर प्रयोग में नहीं लेना है, जैसे की रात का टाइम या फिर आपका फ्री

जहाँ तक हो अपना ज्ञान बढायें और कंप्यूटर वाईरस से होने वाले नुकसान से खुद को बचाएं| वाईरस फ्री रहें, टेंशन फ्री रहें!!

धन्यवाद!!
आपका अपना
इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|


Monday, October 24, 2011

कंप्यूटर को फास्ट करने हेतु 10 उपाय


अक्सर ये होता है, की नया कंप्यूटर शुरूआत में तो बहुत तेज़ गति से काम करता है, मगर जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता है स्लो पड़ता जाता है| कुछ लोग तो रीफॉर्मेट कर के बार-बार विंडो ही बदला करते हैं| मैंने कुछ स्टुडेंट्स से पूछा की फॉर्मेट क्यों करते हो तो सबका जबाब वही एक जैसा था, "सर ये स्लो बहुत हो गया था तो फॉर्मेट कर डाला|"

जयादातर लोगो का मानना है की फॉर्मेट करने से कंप्यूटर की हार्ड डिस्क पर एर्रोर्स आ जाते हैं| फॉर्मेट करना कोई गलत बात नहीं है| आप जितनी चाहो बार फॉर्मेट कर सकते हैं| इस से आपकी हार्ड डिस्क या रेम पर कोई भी बुरा असर नहीं पड़ता| मगर अब सवाल ये उठता है की "क्या कंप्यूटर बार-बार फॉर्मेट ही किया जाये?" नहीं !! हरगिज़ नहीं| ज़रूरत क्या है? फॉर्मेट करने की भाई|



फॉर्मेट करना भी एक कला है| अक्सर नौसिखिये लोग गलतीयाँ करके अपना वक़्त और कीमती डाटा बर्बाद कर डालते हैं| यहाँ मैं आपको कुछ टिप्स बता रहा हूँ| शायद अगली बार से आपको सिस्टम फॉर्मेट ही ना करना पड़े|

(1) कम से कम और सिर्फ काम के सॉफ्टवेर ही कंप्यूटर में लोड करने चाहिए| आलतू-फालतू सॉफ्टवेर से कंप्यूटर की डिस्क और मेमोरी खाम-खा भर जाती है|

(2) सॉफ्टवेर लोड करते वक़्त बहुत सावधानी पूर्वक नेक्स्ट - नेक्स्ट करते जाए| अक्सर ऐसा होता है की किसी अच्छे सॉफ्टवेर के साथ बेकार के टूल भी लोड हो जाते हैं, जिनकी आपको कतई ज़रूरत नहीं होती| उदाहरण के लिए आप अपना इन्टरनेट एक्स्प्लोरर या मोज़िला फायरफोक्स देख लीजिये| अगर टूलबार की बाड़ आई है, तो यह लेख यक़ीनन आपके लिए ही है|

(3) टाइम टू टाइम बेकार के सॉफ्टवेर को अनिस्टाल करना बहुत अच्छा रहता है| इस से कंप्यूटर की स्पीड और परफोर्मेंस में इजाफा होता है| इसके लिए आप कंट्रोल पेनेल में जाकर या फिर Reevo Unistaller सॉफ्टवेर का प्रयोग कर कंप्यूटर से डिलीट मार सकते हैं| Reevo Unistaller डायरेक्ट डाउनलोड करने के लिए http://www.revouninstaller.com/start_freeware_download.html पर जाएँ|

(4) वक़्त के साथ-साथ कंप्यूटर पुराना होता जाता है जबकि लेटेस्ट सॉफ्टवेर जयादा से जयादा मेमोरी की डिमांड करने लगे हैं| फिलहाल 1 GB Ram औसत अथवा 2GB Ram पर्याप्त होती है| जैसी ज़रूरत हो वैसा ही कंप्यूटर सिस्टम होना चाहिए| इसके लिए आप मेरा पिछला पोस्ट नया कंप्यूटर लेते वक़्त 10 ध्यान रखने योग्य बातें देखें|

(5) यदि कंप्यूटर में वाइरस आ जाये तो फिर कंप्यूटर फिर तो कंप्यूटर की बैंड बज ही जाती है| बेहतर यही है की कंप्यूटर में वाईरस लगने ही ना दिया जाए| इसके लिए आप कोई भी अच्छा सा एंटी वाईरस अपने सिस्टम में इंस्टाल कर के रखें| "अपने सिस्टम को वाईरस से कैसे बचाए?" जल्द ही इस टोपिक पर लिखूंगा|

(6) कंप्यूटर में प्रतिदिन हजारों फाइल बनती व नष्ट होती हैं, वैसे तो कंप्यूटर खुद व खुद बेकार की फाइल को डिलीट कर देता है मगर कुछ रह जाती हैं जो कंप्यूटर स्लो कर स्लो कर देती हैं| अत: कचरा फाईलो को साफ़ सफाई कर के कंप्यूटर को फास्ट किया जा सकता है| इसके लिए कंप्यूटर की डिस्क क्लीन-अप यूटीलिटी एक्सेसरी से प्रयोग कर हर महीने साफ़ सफाई करते रहें|

(7) कंप्यूटर में अपने आप या फिर कोई सॉफ्टवेर लोड करने के बाद सिस्टम चेक पॉइंट जिसे सिस्टम रीस्टोर के नाम से भी जाना जाता है अपने आप बनते जाते हैं| सिस्टम रीस्टोर पॉइंट सिस्टम के ख़राब होने की दशा में बहुत कारगर हते हैं| मगर बेकार और पुराने रीस्टोर पॉइंट साफ़ करना ठीक है| इसके लिए आप इसके लिए कंप्यूटर की डिस्क क्लीन-अप यूटीलिटी में देखें|
याद रखें एक रीस्टोर पॉइंट ज़रूरी है जो ज़रूरत पड़ने पर वाकई में काम आए|



(8) मैंने देखा है की कुछ लोग कंप्यूटर में गलती से 1 से ज्यादा एंटी वाईरस लोड कर लिया करते हैं| एंटी वाईरस एक ही है जो ठीक से काम करे| 1 से अधिक एंटी वाईरस कंप्यूटर में लोड बढ़ाते हैं और सिस्टम क्रेश भी कर सकते हैं|

(9 ) कंप्यूटर में फाइल फोल्डर जल्दी जल्दी बनाने और डिलीट करने की वजह से हार्ड डिस्क पर व्हाईट स्पेस बन जाता है जिसे डिस्क फ्राग्मेंट भी कहते हैं| 3 -6 माह के बाद डिस्क डी फ्राग्मेंट करना ज़रूरी होता है| इसके लिए माय कंप्यूटर पर राईट क्लिक कर मेनेज या फिर कण्ट्रोल पेनेल के एडमिनिस्ट्रेटिव टूल्स में से कंप्यूटर मेनेज़मेंट को सेलेक्ट कर डिस्क डी फ्राग्मेंट आप्शन को चुनें| डिस्क डी फ्राग्मेंट करने से कंप्यूटर हार्ड डिस्क का स्पेस अर्रेंज़ आर्डर में रहेगा और स्पीड भी बढेगी|

(10 ) कुछ प्रोग्राम्स कंप्यूटर स्टार्ट करने के साथ ही सेल्फ स्टार्ट हो जाते हैं और कंप्यूटर स्टार्ट होने में ही काफी देर लेता है, लिहाज़ा सिर्फ ऐसे ही प्रोग्राम्स को लोड किया जाना चाहिए जिनकी वाकई ज़रूरत हो| ALT +CTRL +DELETE तीनो कीज़ एक साथ दवाने पर टास्क मैनेज़र आए तो उसमे देखें की कितने प्रोग्राम्स आपके द्वारा चलाये गए और कितने कंप्यूटर के साथ स्वत: ही स्टार्ट हो गए हैं|

ऊपर लिखी बातों के बाद भी आपके कंप्यूटर की स्पीड नहीं बड़ी है तो आप मुझे यहाँ कमेन्ट दे सकते हैं| आपकी समस्या का निवारण किया जायेगा|

धन्यवाद!!

-
इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
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आगरा|


Wednesday, October 19, 2011

कॉल स्पूफिंग या फेक कॉलिंग


सोचिये यदि आपको आपके पापा के फोन नंबर से कॉल आए और आप रिसीव कर बात करें| जबकि आपके पापा ने फोन कॉल की ही ना हो!! या फिर ऐसे किसी नंबर से आपके पास कॉल आए जो रेडाईल करने पर नॉट एक्सिस्ट हो!! जैसे की 9999999999 या फिर 9800000000 या फिर किसी भी ऐसे नंबर से जो है ही नहीं|

http://www.spyzone.com/skins/ClickCartPro/media/spoof-call.jpg

आप सोच पड़ जायेंगे की आखिर ऐसा कैसे हो गया? जी हाँ यह 2011 तकनीकी का ज़माना है और कुछ भी संभव है| आप किसी के भी फोन नंबर से बिना उसके फोन या सिम लिए बिना ही अपने फोन से कॉल कर सकते हैं| कंप्यूटर साईन्स में इस तकनीक को कॉल स्पूफिंग या फेक कॉलिंग कहा जाता है| इसकी शुरुआत 2003 से ही हो चुकी है और लगातार डेवलपमेंट प्रोग्रेस है|

http://www.plsbuy.com/VoIP_Terminals/Voip_Phone_Works.gif

आजकल तमाम वेबसाइट कॉल स्पूफिंग सर्विस प्रोवाइड करा रही हैं| मामूली सा कंप्यूटर ज्ञान रखने वाला भी अब तो कॉल स्पूफिंग कर फेक कॉल कर सकता है| जयादातर वेबसाइट लोगिन कर अकाउंट बनाने की सुविधा और फिर कॉल स्पूफिंग फैसिलिटी एक्टिवेट करने के लिए रिचार्ज कराती हैं जबकि कुछ बिना अकाउंट बनाये ही स्पूफिंग काल्स करने की सुविधा प्रोवाइड करा रही हैं|

इसी तरह की एक वेबसाइट है www.crazycall.net



इस वेबसाइट में 91 काउंट्री कोड सेलेक्ट करने के बाद जो नंबर आपको कॉलर आई डी में रखना है (या जिस के नंबर से कॉल करना है), फिर वो नंबर जिस पर आपको कॉल करना है| अंत में आवाज़ की पिच मोटी, पतली या नोर्मल सेलेक्ट कर GET ME A CODE पर क्लिक करना होता है| क्लिक करते ही राईट साइड मे यह शो करेगा

Your Crazy Call is ready!!!
Dial to the number: 0044-741-812-0145
When asked enter the code: 93xxx

इसके बाद यह नंबर डाइल 00447418120145 करने पर औटोमटिक वोइस कॉलर मशीन आपसे एक कोड पूछेगा| जैसे की यहाँ कोड है 93xxx इसके बाद # दबाकर कन्फर्म किया जाता है| कोड कन्फर्म होने के बाद कॉल लग जाती है|

हालाँकि यह मज़ा मस्ती तक ही सीमित रहे तो ठीक है वरना इसके दुस्परिणाम भी हैं| भारत में अभी भी बहुत से लोग टेक्नोलोजी से कोसो दूर हैं| फ़ोन काल्स या एस एम एस की सत्यता प्रमाणिक नहीं है फिर भी लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं| बहुत से लोग स्पूफिंग के माध्यम से भोले-भाले नागरिको को डराने धमकाने जैसे काल्स किया करते हैं| हमारी इंडिया की पुलिस और साइबर सेल के काम करने का अंदाज़ ही सबको पता है| भारत में इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा देनी चाहिए| TRAI 100 SMS Per Day जैसे नए-नए नियम कानून तो ला रही है लेकिन कॉल स्पूफिंग पर रोक लगाने के लिए अब तक कुछ नहीं कर रही है|

crazycall.net पर की गई कॉल इंटरनॅशनल रेट्स चार्ज करती है| प्रति मिस कॉल देने पर ही 15-20 रूपये और कॉल करने पर जयादा लग जाते हैं| यदि आपको कोई स्पूफ कॉल कर के परेशान कर रहा है तो घबराने की ज़रूरत ही नहीं है| करने दो उसको अपना पैसा बर्बाद हा हा हा हा ... आपके बाप का क्या जा रहा है| थक हार के बेचारा खुद ही बंद कर देगा| अब यदि फिर भी लगातार ऐसे काल्स आयें तो आप इसकी शिकायत अपने कस्टमर केयर पर कर दें| कस्टमर केयर पर शिकायत दर्ज करने के बाद शिकायत संख्या (Complaint No.) के साथ एक F.I.R. पुलिस में दर्ज करा दें|

स्पूफ कॉलिंग या फेक कॉल इंडिया में एक मंडराता हुआ खतरा है| जयादा से ज्यादा लोगो को जागरूक कर हम इस इस खतरनाक चीज़ को बच्चो की ट्रिक बना डालेंगे| अब कोई नहीं डरेगा सब पड़ेंगे सब बढेंगे|

धन्यवाद!!

-
इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|


http://a4.mzstatic.com/us/r1000/018/Purple/ab/03/8d/mzl.mjvhblbo.jpg

Mobile Number Portability

Hi Friends, I am mak meer. Today i am sharing my MNP story with you. When i heared that in india launched mobile no. portability i was so happy coz i was using CDMA Tata no. and i want to convert this no. into GSM, but i was waiting it from long time. Tata was providing me good network facility but i was not satisfied from handsets. Everybody knows that if you are using CDMA sim you can't use cheap and best GSM mobile. So i heared and applied.The prodedure is Write an sms to 1900 as PORT space Your 10 no.s mobile no.
Example
PORT 9219790xxx
and send to 1900
http://www.91mobiles.com/articles/wp-content/uploads/2010/11/Mobile-Number-Portability-India.jpg
After that you will get a 6 digits port no. as reply. Then i went to Aircel office and filled a MNP form and submitted my one photo and id proof. Aircel Told me your no. will activate after seven days. They gave me a blank sim and said use this after seven days.
Owwww wooowo now i am using my 9219790xxx no. as Aircel's no. No problem in it. Thanks MNP
(Feb 2011 posted on www.funpinch.com)
Now today i am not satisfy with Aircel coz Aircel failed to provides me 3G Services at Agra. I made calls many times to its's customer care, went to Aircel office but result zero. Nothing happns.
Finally i decides to leave Aircel and again do MNP. The rule of MNP is you must stay 90 days after one MNP. I am switching in Tata Docomo and new sim will start on 27 th Oct 2011.
TRAI given the power of customers. Thanx Trai.
http://extremetrix.com/blog/wp-content/uploads/2011/01/mobile-number-portability-300x300.jpg

ई बैंकिंग, सावधानी व सुरक्षा के 10 उपाय


आजकल सभी बैंक अकाउंट खोलने के बाद इन्टरनेट बैंकिंग की सुविधा देती हैं| यह सुविधा दो तरह की होती है, पहली यूसर आई डी द्वारा भुगतान और दूसरी अपने ही एटी एम कार्ड द्वारा भुगतान| नया अकाउंट खोलने पर या पुराने अकाउंट पर मांगे जाने पर बैंक द्वारा एक यूसर आई डी और 2 पासवर्ड (लोगिन पासवर्ड और ट्रांस्जेक्सन पासवर्ड) प्रदान किया जाता है| जुलाई 2009 के बाद से इस्सू होने वाले सभी एटी एम कार्ड पर स्पेशल CVV / CVV2 कोड होता है जो ऑनलाइन भुगतान में प्रयोग होता है|

http://i.huffpost.com/gen/298590/thumbs/r-BANK-COMPUTER-HACKING-large570.jpg

चूंकि यह सारा काम ऑनलाइन होता है तो भूल चूक की संभावना ना के बराबर होती है, मगर फिर भी कुछ शातिर लोग आपको चूना लगा सकते हैं| आपकी एक छोटी सी गलती आपका पूरा अकाउंट खाली कर सकती है| अत: ऑनलाइन भुगतान करते वक़्त इन बातो का विशेष ध्यान रक्खे|

1 . बैंक द्वारा प्रदान किये गए पासवर्ड, फर्स्ट यूस के बाद ऑनलाइन अकाउंट एक्टिवेट हो जाता है अत: फ़ौरन नया पासवर्ड बदल लें| अपना पासवर्ड किसी को भी ना बताये| यहाँ तक की आपका पासवर्ड बैंक के कर्मचारी, मेनेजर या कस्टमर केयर आदि किसी को भी नहीं बताना|

2 . कोशिश यही करनी चाहिए की जहाँ तक हो सके ई बैंकिंग अपने ही पर्सनल कंप्यूटर पर ही किया जाए| साइबर कैफे या किसी भी परिचित के कंप्यूटर का प्रयोग ना ही करें तो बेहतर है|

3 . अपने कंप्यूटर पर भी ख़ास सावधानी की ज़रूरत है| फालतू के सॉफ्टवेर ना ही लोड करे तो अच्छा है क्यूकी घटिया सॉफ्टवेर के साथ वाइरस के फैलने का डर रहता है|

4 . यदि मजबूरी में साइबर कैफे या अन्य का कंप्यूटर प्रयोग कर रहे हैं तो मोज़िला फायरफोक्स या इन्टरनेट एक्स्प्लोरर का लेटेस्ट प्रयोग करें| लेटेस्ट सॉफ्टवेर में प्राइवेट ब्राउसिंग का आप्शन होता है जो आपकी लोगिन डाटा को सेव रखता है|

5 . ई बैंकिंग का भुगतान जिस वेबसाइट को कर रहे हैं वह सुरक्षित होनी चाहिए| अधिकतर वेबसाइट किसी 128 bit SSL Gateway (or 256 bit) का प्रयोग करती है| इन Gateways को प्रमाणित करने हेतु सर्टिफिकेट पर विशेष ध्यान दें|

6 . बैंक कभी भी अपने यूसर्स को लोगिन पासवर्ड या प्राइवेट जानकारी से सम्बन्धित ई मेल नहीं भेजता है| यदि आपको कोई ऐसा मेल मिले जो आपकी ई बैंकिंग जानकारी को पूछे तो आप तुरंत उसे डिलीट कर दें| बैंक द्वारा समय समय पर आपको ईमेल के माध्यम से यही अवगत कराया जाता है की कोई कितना भी पूछे, आई डी & पासवर्ड किसी को नहीं बताना|

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7 . जिस बैंक अकाउंट का प्रयोग ई बैंकिंग के लिए किया जाए उस में न्यूनतम भुगतान राशि ही रखनी चाहिए, ताकि कोई भी गड़बड़ होने पर नुक्सान की संभावना कम से कम हो| उदाहरण के लिए मैं जिस अकाउंट का प्रयोग इ बैंकिंग में स्वंय करता हूँ उसमे न्यूनतम 50 हजार ही रखता हूँ|

8 . बच्चो को अपना एटीएम कार्ड ना प्रयोग करने दें| उनके लिए अलग से अकाउंट खुलवा कर देना एक अच्छा विकल्प है|

9 . एटीएम कार्ड पर 16 अन्क का एक कोड व अवधि आदि का उल्लेख होता है, एटीएम कार्ड द्वारा भुगतान करने पर यही कोड व अवधि आदि का प्रयोग किया जाता है, अत: अपने कार्ड को छिपा कर ही रखना बेहतर होता है|

10 . एटीएम कार्ड का प्रयोग एटीएम सेंटर पर बहुत सावधानी पूर्वक गुफ्त रूप से करने हेतु केबिन होता है| अपने अधिकार का पूरा प्रयोग करें| एटीएम सेंटर से जो पर्ची निकलती है उसको फाड़ कर ही कूड़ेदान में डालना चाहिए, क्यूकी उस पर कोड अंकित होता है|

धोखाधडी होने का अंदेशा हो तो इसकी सूचना तत्काल बैंक कस्टमर केयर को फोन करके देनी चाहिए और अपने अकाउंट लोक करवा के बड़े नुकसान से बचना चाहिए|

इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|

नया कंप्यूटर लेते वक़्त ध्यान रखने योग्य बातें|




अक्सर मैंने देखा है की जब कोई नया कंप्यूटर लेने मार्केट में जाता है तो बहुत उलझन में पड़ जाता है की क्या लें क्या न लें| बेसिक यूसर अक्सर दुकानदार की बातो में आकर वही ले लेते हैं, जो वह बताता है| कंप्यूटर चाहे वो डेस्कटॉप हो या लैपटॉप यदि समझदारी से ख़रीदा जाए तो अपने रूपये पैसे का अच्छा उपयोग किया जा सकता है|

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नया कंप्यूटर लेते वक़्त ध्यान रखने योग्य बातें|

(1) मार्केट में 10 हज़ार से लेकर लाखो रूपये तक के कंप्यूटर आते है अत: ज़रूरत के हिसाब से ही चुनाव करना बेहतर होता है| मसलन यदि कोई यूसर बेसिक प्रोग्राम्स जैसे की डोकुमेंट, इन्टरनेट, ईमेल आदि का प्रयोग करे तो उसके लिए इंटेल का एटम प्रोसेस्सर युक्त लैपटॉप या डेस्कटॉप बेहतर है|

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(2) हाई एंड पर्फोर्मस जैसे की 3 डी वर्क, गेमिंग, विडियो एडिटिंग सोफ्टवेयर आदि के लिए इंटेल के सेकंड जनेरेशन कोर प्रोसेसर 3 या 5 बेस्ट हैं|

(3) स्माल सर्वर्स या अन्य शेयरिंग वर्क्स के लिए इंटेल के सेकंड जनेरेशन कोर प्रोसेसर 7 बेस्ट हैं|

(4) इंटेल के अन्य प्रोसेस्सर युक्त कंप्यूटर जैसे की इंटेल डुअल कोर या कोर 2 डुओ भी बहुत अच्छे और सस्ते होते हैं|

(5) कोई भी कंप्यूटर इसके मदर बोर्ड से ही बेस्ट बनता है ना की उसके प्रोसेस्सर या रेम से| घटिया मदर बोर्ड में यदि अच्छी क्वालिटी का प्रोसेस्सर और रेम मिला भी दिया जाए तो घटिया ही पर्फोर्मांस देगा|

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(6) मदर बोर्ड में एक स्पेशल मेमोरी होती है जो 3 डी ग्राफिक्स आदि के काम आती है| इंटेल के सभी मदर बोर्ड में यह मेमोरी 128 से 256 MB तक आ रही हैं| 256 MB युक्त मेमोरी बेस्ट है| हालांकि कुछ मदर बोर्ड में 3 डी ग्राफिक्स कार्ड जैसे की nVidea या ATI आदि युक्त भी आते हैं परन्तु उनका उपयोग हाई एंड पर्फोर्मस जैसे की 3 डी वर्क, गेमिंग, विडियो एडिटिंग सोफ्टवेयर आदि के द्वारा ही हो पता है| बेसिक यूसर के लिए यह व्यर्थ ही साबित होते हैं|

(7) एक बार ले रहे हैं अच्छा ही ले लें!!
कंप्यूटर चाहे वह लैपटॉप हो या डेस्कटॉप इसकी अधिकतम आयु 3 वर्ष ही है, 3 वर्ष बाद या तो ये ख़राब हो जाया करते हैं या फिर ओल्ड मॉडल बन कर घर के एक कोने में पड़ जाता हैं| इस सोच को बदलकर आगे बड़े क्यूकी आज का दौर सूचना क्रांति का दौर है और इसमें बहुत जल्दी जल्दी बदलाव आते हैं| नया कल पुराना हो जाता है| अत: कंप्यूटर अपनी ज़रूरत के हिसाब से ही लें|

(8) दुकानदार हमेशा उसी चीज़ को जयादा जोर देता है जिस पर मार्जिन (कमीशन) उसे अच्छा मिले| अत: दुकानदार की बातो में ना आए वो अपने फायदे के लिए घटिया क्वालिटी के प्रोडक्ट आपको बेच सकता है| जयादा जानकारी ना हो तो किसी समझदार को साथ में लेकर ही जाएँ|

(9) अक्सर दुकानदार चाइना प्रोडक्ट बता कर ग्राहक को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, तो यह बात ध्यान रखने योग्य है की कोई भी प्रोडक्ट इंडिया में नहीं बनता| चाहे ब्रांडेड या लोकल सभी मेड इन चाइना होते हैं| अत: इन सभी चाइना प्रोडक्ट में से हमे बेस्ट प्रोडक्ट चुनने पर ध्यान देना चाहिए|

(10) कंप्यूटर लेने से पहले कंप्यूटर की मूलभूत जानकारी ले लेनी चाहिए जैसे की प्रोसेस्सर, रेम, हार्ड डिस्क, मदर बोर्ड, डिस्प्ले आदि आदि| लेटेस्ट और ओल्ड टेक्नोलोजी में हमेशा कम्पेयर कर के ही अपने लिए बेस्ट पी सी का चुनाव करना बेहरत होता है |

इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|


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आपके फेसबुक अकाउंट से कोई भी चैट कर सकता है?


सोचिये की आप और आपका कोई प्रिये मित्र फेसबुक पर चैट का आनंद ले रहे हैं तभी अचानक आपका मित्र अभद्र भाषा या ऐसे वर्ड बोले जो आपको पसंद ना हो तो आपको कितना गुस्सा आयेगा| जबकि आपका मित्र अपनी सफाई में यही कहे "मैंने कुछ भेजा ही कहा है?" असल में आपका मित्र सही है क्यूकी बिना आपके मित्र के द्वारा भी उसके अकाउंट से आपके पास चैट का मैसेज पहुँच सकता है जो किसी अन्य शातिर व्यक्ति द्वारा भेजा गया है|

http://www.techlahore.com/wp-content/uploads/2011/02/facebook_chat_hack.jpg


असल में यह सब कमी आपके फेसबुक अकाउंट की ही है| फेसबुक ने जब से चैट को ईमेल में कन्वर्ट किया है प्रॉब्लम तभी से जुड़ गई है| कोई भी नौसिखिया आसानी से हल्की फुलकी पी० एच० पी० के मेल फंक्शन का प्रयोग कर आपको फ्रॉम बना कर आपके दोस्त को ईमेल भेज सकता है जो उसके चैट बॉक्स में चैटिंग जैसा प्रतीत होता है|

पी० एच० पी० जो की सर्वर स्क्रिप्ट लेंगुएज है इसमें एक मेल फंक्शन होता है जो बिना मेल सर्वर के ही ईमेल भेजने के काम आता है| बहुत से हैकर इस मेल फंक्शन का प्रयोग फिशिंग या फेक ईमेल में करते हैं| आपके फेसबुक अकाउंट द्वारा भी इसी प्रकार मेल फंक्शन के माध्यम से आपको नोटीफिकेशन प्राप्त होते हैं|


हालाँकि इस तरह के फेक मैसेज को आसानी से पहचाना जा सकता है| मगर फिर भी बेबकूफ लोगो की कमी कहाँ है| हा हा हा हा हा... | यदि आपके पास इस तरह से कोई मैसज़ आए जो आपके मन में शक पैदा करे तो आप उसे फेसबुक के मैसेज बॉक्स में जाकर ज़रूर चेक करें| यदि मैसेज बॉक्स में एर्रोर या किसी तरहा का सिम्बल हो तो उसके ऊपर माऊस रखने पर Unable to confirm xxx as the sender दिखायेगा| (यहाँ xxx जिसके द्वारा मैसेज भेजा गया है|)

फेसबुक से संभंधित किसी भी समस्या या सुझाव आप मुझे यहाँ दे सकते हैं| अंतिम लाइंस में यही कहूँगा की "एन्जॉय दी फेसबुक बट नेवर ट्रस्ट एनी"|

धन्यवाद !!

इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|


Monday, October 17, 2011

ऑनर किलिंग के मामलो में क्यों बढोत्तरी हो रही है?

जेनेराशन गेप और पुरानी सामाजिक परम्पराए आज के युवा लोग नहीं मानते हैं, जिसके परिणाम स्वरुप बाहुबली लोग अपनी नाक और समाज में रुतवा कायम रखने हेतु ऐसे अपने बच्चो की बलि चड़ा देते हैं| समाज में बहुत बड़े बदलाव की ज़रूरत है| जाति धर्म-सम्प्रदाय से ऊपर उठ कर समाज में कुछ नए नियमो की ज़रूरत है|

क्राईम की घटनाओ पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है?

समाज का नैतिक पतन हो रहा है आज मानव भगवान से ज्यादा शैतान का पुजारी हो गया है| अपराधी क्राईम करने में मस्त है पुलिस लीपा पोती कर के अपना पल्ला झाड़ने में व्यस्त है| क्राईम बढने का मुख्य कारण जनता की जागरूकता में कमी होना है| कोई किसी के मामले में टांग अडाने की नहीं सोचता|

मिलावटखोरों पर क्या एक्शन लिया जाना चाहिए?

अक्सर ये देखा गया है की जब कोई मिलावटखोर पकड़ा जाता है तो वो सत्ता और धन के बल पर धौंस देता है और आसानी से छूट जाता है| वक़्त के साथ साथ लोग भी भूल जाते हैं| मिलावटखोरों की संपत्ति आदि को सील कर जेल भेज देना चाहिए| उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और कड़ी कार्यावाही होनी चाहिए ताकि बाकी मिलावटखोरों को सबख मिले|


भारत निर्माण में युवायो का योगदान|

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जो काम विदेशी लोग किया करते थे आज हमारे नव युवक युवतिया करने लगे है| लड़के लड़की के चक्कर में और लडकियां लडको के चक्कर में घनचक्कर हो रही हैं| टीवी में ऐसे कई विज्ञापन जैसे की "मैं अगर गोरी हो जायू तो उसकी नज़र ज़रूर पड़ेगी" या फिर किसी विज्ञापन में लड़का परफ्यूम की बोतल में नहा के घर से निकला और लड़किया बर्रैया की तरह मंडराने लगी|

http://www.merinews.com/upload/thumbimage/1220510796188_youth_t.JPG

अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है की भारत और चीन के बच्चे पढाई लिखाई पर ध्यान देते हैं जबकि उनके यहाँ के बच्चे लड़का लड़की नैन मटक्का में व्यस्त रहते हैं| अमेरिकी राष्ट्रपति ने माना है की अमेरिका की प्रगति में हिन्दुस्तानियों का सबसे जयादा योगदान है|


लेकिन आजकल जो नई पीड़ी है क्या वो हिंदुस्तान की प्रगति में योगदान देगी या फिर नैन मटक्का मैं ही व्यस्त रहेगी| दरअसल बात समझने की हैं और देश के निर्माण में युवायो का योगदान बहुत ज़रूरी है| अब तक जो भी प्रगति भारत ने की हैं उस को आगे तक बरकरार रखने की ज़िम्मेदारी हम लोगो की ही है|
http://india.targetgenx.com/files/2007/09/indian_youth.jpg

अंतिम लायंस में यही कहूँगा की बस देश से प्यार करो और अपने लक्ष्य के प्रति संयमित रहो|

इंजिनियर मैक मीर
(निदेशक)
आई टी मैक डोट कोम
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान
आगरा|