Monday, October 29, 2012

ऑनलाइन पहचान की चोरी - सवाल पहचान का



एक सुबह आप उठें और आपको पता चले कि आपकी पहचान चोरी हो गई है तो आप क्या करेंगे? आप कहेंगे कि यह क्या अटपटा सवाल है, लेकिन जनाब ऐसा बिल्कुल हो सकता है। आपकी पहचान के साथ कोई खिलवाड़ कर रहा हो और आपको पता भी न हो। ऑनलाइन आइडेंटिटी थेफ्ट यानी ऑनलाइन पहचान की चोरी एक नया संकट है जिससे आज दुनिया भर में सैकड़ों लोग जूझ रहे हैं। इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है कि इंटरनेट पर कई तरीक़ों से हर एक की अपनी पहचान होती है जैसे कि उसका ई-मेल पता, ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन और ऑर्कुट वगैरह सोशल नेटवर्किग साइटों पर प्रोफाइल आदि। अगर कोई व्यक्ति इनका या इनमें से किसी भी एक सेवा का पासवर्ड हथिया ले तो साइबर दुनिया में आपकी पहचान पर उसका कब्जा हो जाता है और वह इसका गलत फायदा उठा सकता है। आपके नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाकर ऑनलाइन दुनिया में सक्रिय होने पर आइडेंटिटी थेफ्ट का मामला बनता है। अभिनेत्री प्रीति जिंटा अब भले ट्विटर पर सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें जब अपने फर्जी ट्विटर एकाउंट का पता चला तब तक उनके फॉलोअर्स की संख्या 1,40,000 तक पहुंच गई थी। फेसबुक पर भी फर्जी प्रोफाइल की भरमार है। हाल में रिसर्च फर्म बाराकूडा लैब्स ने फर्जी फेसबुक प्रोफाइल संबंधी एक अध्ययन की रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक 97 फीसदी फर्जी प्रोफाइल महिलाओं के नाम से बनाए जाते हैं। फर्जी प्रोफाइल पर मित्रों की संख्या ज्यादा होती है। मतलब औसतन एक व्यक्ति के मित्रों की संख्या 130 होती है जबकि फर्जी प्रोफाइल धारकों के मित्रों की संख्या 730 के लगभग होती है।


फर्जी प्रोफाइल पर असल प्रोफाइल की तुलना में 100 फीसदी ज्यादा फोटो टैग किए जाते हैं, लेकिन यह रिसर्च फर्जी प्रोफाइल के बारे में है न कि पहचान चोरी के मामले में। ट्विटर पर प्रोफाइलों को वेरीफाई किया जाता है, लेकिन करोड़ों उपयोक्ताओं में ऐसे महज मुट्ठीभर लोग ही हैं जिनकी प्रोफाइल वेरीफाई की गई है। उनमें से भी अधिकांश वेरीफाइड प्रोफाइल जानी-मानी हस्तियों की होती है। साथ ही अधिकांश सोशल नेटवर्किग साइटें इस समस्या से पल्ला झाड़ने के लिए यह डिस्क्लेमर भी लगाकर रखती हैं कि प्रोफाइल पर दी गई सूचनाओं से साइट का कोई सरोकार नहीं है। टेकक्रंच के मुताबिक फेसबुक भी जल्दी ही प्रोफाइल को वेरीफाई करने की शुरुआत करने वाला है। जिन लोगों के खाते वेरीफाई किए जाएंगे वो मित्र बनाने संबंधी सुझाव में प्रमुखता से दिखाए जाएंगे। फेसबुक का यह फीचर कई लोगों के लिए खासा कारगर साबित हो सकता है, लेकिन दिक्कत यह है कि फेसबुक अभी इस फीचर पर ध्यान देने के मूड में नहीं है। माना जा रहा है कि वेरीफाई किए गए खातों के बारे में आम लोग नहीं जान पाएंगे। ऐसा होगा तो इस फीचर का आम लोगों के लिए कोई फायदा नहीं होगा।


मुंबई की निवासी मेलोडी लैला को को अप्रैल 2008 में पता लगा कि वे भी इस ऑनलाइन जालसाजी का शिकार हो चुकी हैं, जब उनके एक दोस्त ने उन्हें बताया कि किसी ने जोयी बिंदास के नाम से उनकी एक प्रोफाइल बना रखी है जिस पर उनकी तस्वीरें भी हैं। बाद में पता लगा कि ये तस्वीरें साइबर धोखेबाजों ने उनकी फ्लिकर प्रोफाइल से ली हैं। फ्लिकर एक ऑनलाइन सेवा है, जहां लोग अपनी तस्वीरों का ऑनलाइन संगृह कर सकते हैं। ऐसे तमाम उदाहरण लगातार सामने आ रहे हैं। मुश्किल तो यह है कि ज्यादातर ऑनलाइन सोशल नेटवर्किग सेवाएं इस बात की पड़ताल करने की कोशिश ही नहीं करती हैं कि जिस नाम से एकाउंट बनाया गया है और उस पर जो तस्वीरें इस्तेमाल की गई हैं क्या वे वाकई में उसी इंसान की हैं। इंटरनेट की पहुंच का दायरा इतना बढ़ चुका है कि इस तरह की ऑनलाइन जालसाजी न सिर्फ आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा तार-तार कर सकती है, बल्कि इसके चलते आर्थिक तौर पर भी आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

Courtesy Link
(http://celebritywriters.jagranjunction.com/2012/02/20/writer-social-networking-sites-identity/)

0 comments:

Post a Comment